‘बंटेंगे तो कटेंगे’ पर अजित पवार ने फिर दिखाए सख्त तेवर, कहा-‘यहां नहीं चलेगा, सबका साथ सबका विकास पर यकीन’

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मुंबई: महाराष्ट्र में वोटिंग से पहले बंटोगे तो कटोगे को लेकर राजनीति तेज हो गई है। बीजेपी- शिवसेना गठबंधन महायुति में शामिल अजित पवार ने बड़ा बयान दिया। उन्होंने कहा कि हम बंटोगे तो कटोगे का समर्थन नहीं करते हैं। बंटेंगे तो कटेंगे महाराष्ट्र में नहीं चलने वाला। अजित पवार ने कहा कि महाराष्ट्र साधु-संतों का है। हम उन्हीं के रास्तों पर जाएंगे। उन्होंने कहा कि हम सबका साथ..सबका विकास पर यकीन करते हैं। अजित पवार ने महाराष्ट्र के बीड में एक चुनावी सभा को संबोधित करते हुए ये बातें कही।

महाराष्ट्र में नहीं चलेगा

उन्होंने कहा-‘अगर कोई कुछ कहता है तो हर बात का हम समर्थन नहीं करते। कोई कहता है बटेंगे तो कटेंगे यह महाराष्ट्र में नहीं चलेगा यह नॉर्थ में.. महाराष्ट्र में नहीं.. महाराष्ट्र साधु संतों का महाराष्ट्र है। साहू फूले और आंबेडकर का सिखाया हमारे खून में दौड़ता है। हम उसी रास्ते पर जाएंगे। पिछली बार लोकसभा चुनाव में अल्पसंख्यक समुदाय ने अलग प्रकार की भूमिका अपनाई। आपको क्या मिला आपका वोट का क्या हुआ?  इस बारे में विचार तो करिए.. कहा गया कि संविधान बदल जाएगा, 400 पार हुआ तो आरक्षण हटा दिया जाएगा। किसने कहा.. आपके विरोधियों के पास कोई मुद्दा नहीं था इसलिए उन्होंने आपकी दिशा भटका दी।

महाराष्ट्र की तुलना अन्य राज्यों से नहीं हो सकती

दरअसल, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने महाराष्ट्र में एक चुनावी रैली में अपना नारा ‘बटेंगे तो कटेंगे’ नारे को दोहराया था। इसके बाद राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) प्रमुख अजित पवार ने कहा था कि राज्य के लोग इस तरह की टिप्पणी पसंद नहीं करते।  पवार ने कहा कि प्रदेश के लोगों ने हमेशा सांप्रदायिक सद्भाव बनाए रखने का प्रयास किया है। योगी आदित्यनाथ की टिप्पणी के बारे में पूछे जाने पर पवार ने  कहा, ‘‘महाराष्ट्र छत्रपति शिवाजी महाराज, राजर्षि शाहू महाराज और महात्मा फुले का है। आप महाराष्ट्र की तुलना अन्य राज्यों से नहीं कर सकते, महाराष्ट्र के लोगों को यह पसंद नहीं है।’’

उन्होंने कहा कि शिवाजी महाराज की शिक्षा समाज के सभी वर्गों को साथ लेकर चलने की थी। राकांपा प्रमुख ने कहा, ‘‘जब दूसरे राज्यों से लोग यहां आते हैं, तो वे अपने लोगों को ध्यान में रखते हुए बयान देते हैं, लेकिन महाराष्ट्र ने कभी इसे स्वीकार नहीं किया और यहां के सभी चुनावों का यह इतिहास रहा है।’’ राकांपा भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की सहयोगी है। महाराष्ट्र 20 नवंबर को होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए पूर्वी महाराष्ट्र के वाशिम में एक चुनावी रैली में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री ने अपने इस नारे को दोहराया था।

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