प्रयागराज के महाकुंभ मेले में सभी के आकर्षण का केंद्र बनी एप्पल के सह संस्थापक दिवंगत स्टीव जॉब्स की पत्नी लॉरेन पॉवेल जॉब्स को उनके गुरू स्वामी कैलाशानंद ने नया हिंदू नाम दिया है ‘कमला’। अरबपति महिला कारोबारी लॉरेन पॉवेल जॉब्स ने विश्व के इस सबसे बड़े धार्मिक समागम में कल संगम में डुबकी लगायी थी।
एप्पल के दिवंगत सह-संस्थापक स्टीव जॉब्स की पत्नी लॉरेन पॉवेल जॉब्स ने पिछले हफ्ते अपना कल्पवास शुरू किया था। अपने अब तक के प्रवास के दौरान उन्होंने अपने गुरु , निरंजनी अखाड़ा प्रमुख स्वामी कैलाशानंद गिरि के शिविर में हिंदू अनुष्ठानों में खुद को लीन कर लिया है।
भगवा वस्त्र पहने पॉवेल कल्पवास की सदियों पुरानी प्रथा का पालन कर रही हैं , जिसमें पौष पूर्णिमा से माघी पूर्णिमा तक एक महीने की तपस्या और भक्ति शामिल है। वह शाही स्नान और प्रमुख अनुष्ठानों में साधु-संतों और अन्य वीवीआईपी के साथ भाग लेंगी।
आम कल्पवासियों के लिए कितना कठिन है कुंभ मेले में रहना
हाथ में रक्षासूत्र और गले में रुद्राक्ष की माला के साथ सलवार सूट पहने पॉवेल का महाकुंभ शिविर में उनका गर्मजोशी से स्वागत किया गया। पॉवेल और अन्य वीआईपी लोग जहां आसानी से कुंभ का अनुभव कर रहे हैं, वहीं आम कल्पवासियों के लिए यह थोड़ा कठिन है। कल्पवास करने वालों के लिए वित्तीय लागतें बहुत ज़्यादा होती हैं। जलाऊ लकड़ी, कालीन और बुनियादी बिस्तर बहुत ज़्यादा कीमत पर बेचे जाते हैं, कुछ तीर्थयात्री अपने ठहरने पर 1,00,000 रुपये से ज़्यादा खर्च करते हैं।
हालांकि अधिकारियों ने कल्पवासियों के लिए पर्याप्त टेंट और सहायता सुनिश्चित करने की कोशिश की है लेकिन मांग आपूर्ति से कहीं ज़्यादा है। पिछले हफ़्ते कई कल्पवासियों ने खाली बर्तन लेकर अपने शिविर में पानी की कमी के खिलाफ़ विरोध प्रदर्शन किया।
Mahakumbh 2025: कल्पवासियों के लिए पानी, सफाई और बिजली की कमी
अतिरिक्त जिला मजिस्ट्रेट विवेक चतुर्वेदी ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया , “कल्पवासियों के आने के बाद से ही हम इन इलाकों में पानी, सफाई और बिजली की कमी की समस्या का सामना कर रहे हैं। पूरा प्रशासन इन समस्याओं पर ध्यान केंद्रित कर रहा है। हम आने वाले दिनों में इन समस्याओं को सुलझा लेंगे।”
अनुमान है कि करीब 10 लाख श्रद्धालु कल्पवास करेंगे। कानपुर से आए सीता राम बाबा जैसे अन्य लोगों के लिए इस साल कुंभ में लकड़ी से लेकर दूध और सब्जियों तक की लागत में वृद्धि हुई है। उन्होंने कहा, “टेंट किराए पर लेने का खर्च 5,000 रुपये है, जबकि निजी शौचालय तक पहुंच के लिए 5,000 रुपये और देने पड़ते हैं, जो कि पहले के आयोजनों के दौरान लिए जाने वाले 3,000 रुपये से काफी अधिक है।”
Kumbh Mela: वीआईपी घाटों पर अच्छी सुविधाएं
कल्पवास कर रही 53 वर्षीय अंजना त्रिपाठी ने कहा, “यह सब बेहतर हो गया है लेकिन रखरखाव में अभी भी सुधार की आवश्यकता है। मेरा शिविर घाट से बहुत दूर है और वहां पहुंचना मुश्किल है। मैं अपने परिवार के साथ हर दिन एक घंटे पैदल चलती हूं। वीआईपी घाटों पर सबसे अच्छी सुविधाएं हैं।”
कौशाम्बी के 55 वर्षीय किसान रोहताश मिश्रा का अनुमान है कि इस साल कल्पवास पर उनका कुल खर्च 60,000 रुपये है। इसमें संतों को प्रतिदिन दिया जाने वाला दान और चावल, चीनी और अन्य आवश्यक वस्तुओं का चढ़ावा शामिल है। उन्होंने कहा, “इनके बिना आप भंडारे में हिस्सा नहीं ले सकते । जो लोग इसका खर्च नहीं उठा सकते, वे अपना टेंट लेकर आते हैं और सड़क किनारे सोते हैं।”
दिल्ली के व्यवसायी और पहली बार कल्पवासी बने गिरजा शंकर राजन अपनी 90 वर्षीय मां के साथ कुंभ आए हैं। उन्होंने 15,000 रुपये में एक टेंट किराए पर लिया है और 3,000 रुपये खर्च करके निजी शौचालय बनवाया है