तुलसी का पौधा कोई आम पौधा नहीं है. ये वो पौधा है जो अधिकांश घरो में भगवान की तरह पूजा जाता है. महिलाएं इस पौधे की पूजा अर्चना करती हैं और शाम होते ही उसके पास एक दीपक भी लगाती हैं. जो घर में पॉजिटिव एनर्जी (Positive Energy) देने का प्रतीक होता है. न सिर्फ पूजा पाठ की दृष्टि से बल्कि तुलसी (Tulsi) का पौधा औषधि की दृष्टि से भी बहुत जरूरी माना जाता है. इस पौधे की पत्तियों में ऐसे गुण होते हैं जो मौसमी इंफेक्शन को दूर करने में सक्षम होते हैं. साथ ही शरीर की इम्यूनिटी (Immunity) को भी बढ़ाते हैं. तुलसी की पूजा पाठ करने की तो बहुत सी मान्यताएं. एक मान्यता ऐसी भी है जो घर में पैर जमा चुकी कंगाली को बहुत आसानी से दूर कर सकती है. आपको बताते हैं वो एक चीज जो तुलसी के पास रखने से घर में सुख समृद्धि की वर्षा होने लगती है.
क्या रखें तुलसी के पास? ( what to keep near Tulsi)
तुलसी के पास लोग अपनी मान्यता और श्रद्धा के अनुसार बहुत सी अलग अलग चीजें रखते हैं. जो बहुत शुभ भी मानी जाती हैं. लेकिन एक वस्तु ऐसी भी है जिसे तुलसी के पास रखने से घर में कंगाली और गरीबी की धूल छंट जाती है. निगेटिव एनर्जी की जगह पॉजिटिव एनर्जी ले लेती है. तुलसी के पास हमेशा भगवान शालिग्राम को रखना चाहिए. खासतौर से अगर आप कंगाली से जूझ रहे हों तो भगवान शालिग्राम की तुलसी के पास रखी प्रतिमा या तस्वीर आपको कंगाली से छुटकारा दिलवा सकती है.
होते हैं ये फायदे ( benefits of keeping these things near Tulsi)
माना जाता है कि जिन लोगों के पास पूरी मेहनत करने के बाद भी धन की कमी बनी रहती है. वो लोग यदि अपने घर में लगी तुलसी के पास शालिग्राम को रखते हैं तो उनके हालात धीरे धीरे बेहतर होने लगते हैं.
गृह क्लेश से भी मिलता है छुटकारा
भगवान शालिग्राम की तुलसी के पास रखी तस्वीर या प्रतिमा से पूरे घर में पॉजिटिव एनर्जी आती है. इसलिए शालिग्राम की तुलसी के साथ पूजा करना चाहिए. माना जाता है कि ऐसा करने से घर के रोज रोज के झगड़े भी कम होते हैं.
भगवान शालिग्राम को लगाएं ये भोग ( Lord Shaligram Bhog)
भगवान शालिग्राम के पूजन के साथ साथ उन्हें भोग लगाना भी बहुत लाभकारी होता है. भगवान शालिग्राम की तुलसी के पौधे के साथ विधिवत रूप से पूजा करें. उसके बाद उन्हें भोग भी लगाएं. ये भोगा पंचामृत यानी पांच शुद्ध चीजों से मिलकर बनता है. जिसमें दही भी शामिल होता है.
रोज अर्पित करें जल
भगवान शालिग्राम को जल भी रोज अर्पित करना शुभ माना जाता है. रोज सुबह स्नान करें और उसके बाद भगवान को जल चढ़ाएं.
कौन हैं भगवान शालिग्राम?
भगवान शालिग्राम विष्णुजी का ही एक रूप माने जाते हैं. बहुत सी धार्मिक मान्यताएं हैं कि भगवान विष्णु के विग्रह स्वरूप को ही शालिग्राम कहा जाता है. ये एक पत्थर है जो नेपाल स्थित गंडक नदी या नारायणी नदी की तली में पाया जाता है. सालग्राम नाम के स्थान के पास होने की वजह से इस पत्थर का नाम शालिग्राम पड़ा. गंडक नदी की तली में पत्थर गोल, काले, अंडाकार में मिलते हैं. कुछ पत्थरों पर सुनहरी लाइनिंग भी दिखाई देती है.
वैष्णव संप्रादय के अनुयायियों में मान्यता है कि भगवान विष्णु के चार भुजाओं वाले स्वरूप के साथ उनके विग्रह स्वरूप का भी पूजन करना चाहिए.
तुलसी और शालिग्राम का साथ
मान्यता है कि तुलसी के एक श्राप की वजह से ही भगवान विष्णु एक शिला में परिवर्तित हुए थे. जिसका कोई हृदय नहीं होता. उनके इसी रूप को शालिग्राम के रूप में पूजा जाता है. एक और मान्यता ये है कि तुलसी का विवाह भगवान विष्णु के विग्रह स्वरूपी शालिग्राम के साथ हुआ था. इसलिए दोनों का पूजन साथ में शुभ माना जाता है. बहुत से भक्त तुलसी विवाह को भी एक शुभ दिन के रूप में पूजते हैं.