UP में बुर्के की आड़ में फर्जी वोटिंग का मामला आखिर है क्या? जिसे लेकर EC पहुंची बीजेपी

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उत्तर प्रदेश में 9 विधानसभा सीटों पर आज उपचुनाव (UP Bypoll Fake Voting) हो रहा है. मुजफ्फरनगर की मीरापुर, मुरादाबाद की कुंदरकी गाजियाबाद, खैर, करहल, सीसामऊ, कटेहरी, मझवां और फूलपुर विधान सभा सीटों पर वोटिंग चल रही है. वोटिंग के दौरान फर्जीवाड़े के आरोप भी खुलकर लगाए जा रहे हैं. बुर्के की आड़ में फर्जी वोटिंग (Burqa Fake Voting) बड़ा मुद्दा बना हुआ है. बीजेपी और आरएलडी का आरोप है कि बुर्के वाली महिला वोटर्स को बिना पहचान किए ही भीतर जाने दिया जा रहा है. बीजेपी ने बुर्के की आड़ में फर्जी मतदान किए जाने का आरोप लगाया है. इसे लेकर उसने चुनाव आयोग से गुहार भी लगाई है.

बुर्के की आड़ में फर्जी वोटिंग का आरोप

मुरादाबाद की कुंदरकी सीट पर वोटिंग के बीच बुर्के वाली महिला वोटर्स की पहचान कराए जाने को लेकर बीजेपी ने चुनाव आयोग को चिट्ठी लिखी है.बीजेपी ने आरोप लगाया है कि मुस्लिम महिला वोटर्स बुर्के की आड़ में फर्जी मतदान कर रही हैं. इसलिए पुलिस को इनकी पहचान करनी चाहिए.

‘पहचान नहीं होगी तो फर्जीवाड़ा तो होगा ही’

मुजफ्फरनगर की मीरापुर सीट पर आरएलडी प्रत्याशी मिथिलेश पाल ने भी इसी तरह का आरोप लगाया है. उन्होंने फर्जी मतदान होने का मुद्दा उठाते हुए कहा था कि  बुर्के में मौजूद वोटर्स की पहचान नहीं की जाएगी तो फर्जीवाड़ा तो होगा ही.

मीरापुर से RLD प्रत्याशी

चिट्ठी में बीजेपी ने क्या लिखा?

चुनाव आयोग को लिखी चिट्ठी में बीजेपी ने लिखा है कि पिछले चुनावों में ये सामने आया था कि पर्दानशीन महिलाएं, पहचान न किए जाने की वजह से बार-बार वोट डालने की कोशिश करती नजर आई थीं. महिलाएं ही नहीं कुछ पुरुष भी बुर्का पहनकर फर्जी वोटिंग की कोशिश करते हैं. कई बार ऐसे वोटर्स को मतदानकर्मी रोकते भी हैं. अगर बुर्के वाली महिलाओं को पहचान के बिना ही वोट डालने की अनुमति दी जाएगी तो फर्जी मतदान होगा. इसीलिए निष्पक्ष वोटिंग सुनिश्चित करने के लिए बुर्के वाली महिलाओं और अन्य सभी वोटर्स की पहचान सुनिश्चित करवाकर ही वोटिंग की परमिशन दी जानी चाहिए, ताकि चुनाव निष्पक्ष हो सके.

लोकसभा चुनाव में भी उठी थी फर्जी वोटिंग की बात

लोकसभा चुनाव के दौरान भी बुर्के की आड़ में फर्जी वोटिंग के आरोप लगाए गए थे. मैनपुरी, संभल और फिरोजाबाद समेत कई जगहों पर पर्दे की आड़ में फर्जी मतदान की शिकायत राजनीतिक दलों ने चुनाव आयोग से की थी. तीसरे चरण में मिली शिकायतों के बाद चुनाव आयोग ने एक हेल्पलाइन नंबर जारी किया था. अब फिर से वैसा ही मामले सामने आ रहा है.

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