साइबर क्राइम कैपिटल जामताड़ा में चुनावी ‘महाभारत’, सीता सोरेन या इरफान अंसारी…कौन लाएगा ‘बदलाव’

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झारखंड विधानसभा चुनाव 2024 (Jharkhand Assembly Elections 2024) के दूसरे फेज में 20 नवंबर को वोटिंग है. ऐसे में सबकी नजरें संथाल परगना की सीटों पर टिकी हैं. इस परगना में जामताड़ा सीट (Jamtara) भी है, जो साइबर क्राइम और ऑनलाइन फ्रॉड के लिए वर्ल्ड फेमस है. जामताड़ा एक ऐसा शहर, जिसने समय और प्रतिष्ठा दोनों के मामले में अविश्वसनीय दूरी तय की है. एक समय यह ईश्वर चंद्र विद्यासागर की विरासत से जुड़ा शहर हुआ करता था. विद्यासागर शिक्षा, समानता और सामाजिक न्याय के लिए लड़ने वाले प्रसिद्ध सुधारक थे. अब जामताड़ा साइबर अपराध के लिए जाना जाता है.

20 नवंबर को जामताड़ा की जनता 13 उम्मीदवारों में से अपना प्रतिनिधि चुनेगी. हालांकि, असली मुकाबला कांग्रेस के मौजूदा विधायक इरफान अंसारी और BJP की सीता सोरेन के बीच है. सीता सोरेन झारखंड के राजनीतिक दिग्गज शिबू सोरेन की बड़ी बहू और मौजूदा मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की भाभी हैं.

काम के आधार वोट मांग रहे अंसारी
जामताड़ा में कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ रहे मौजूदा विधायक इरफान अंसारी अपने रिकॉर्ड और झारखंड सरकार में मंत्री के रूप में अपने काम के आधार पर लोगों से वोट की अपील कर रहे हैं. अंसारी अपनी उपलब्धियों पर गर्व करते हैं, जिसमें नए पुल-पुलिया का निर्माण शामिल हैं. हालांकि, वो यह भी मानते हैं कि जामताड़ा को रांची, धनबाद, देवघर या बोकारो जैसा बनाना समय की मांग है.

इरफान अंसारी दिनभर चुनावी रैलियों में भागदौड़ करते हैं. उन्होंने देर रात करीब 10 बजे अपने आवास पर NDTV से बातचीत की. इस दौरान अंसारी कहते हैं, “जामताड़ा पहले एक गांव था. अब यहां सड़कें, अस्पताल, विश्वविद्यालय हैं. मैंने झारखंड का सबसे बड़ा पुल दिया है, लेकिन असली बदलाव में वक्त लगता है.”

विवादास्पद बयान पर दर्ज हुई थी FIR
इरफान अंसारी हाल ही में एक विवाद में फंस गए, जब उनका एक बयान वायरल हुआ. इस बयान को लेकर FIR भी दर्ज हुई. अंसारी का दावा है कि उनके बयान से छेड़छाड़ की गई है. वो चुनाव के बाद मानहानि का मामला दर्ज कराने की बात करते हैं.

मानहानि केस करने की कही बात
अपने बचाव में अंसारी कहते हैं, “पूरा वीडियो देखिए. अगर मैं गलत हूं, तो राजनीति छोड़ दूंगा… BJP क्रॉप करने में माहिर है. 200 लोगों की आईटी टीम यहां आई हैं. मैं चुनाव के बाद 100 करोड़ रुपये की मानहानि का दावा करूंगा.” अगले ही पल वो कहते हैं, “इतने रुपये मेरे पास नहीं हैं, लेकिन मैं क्षेत्र की जनता से चंदा लेकर मानहानि का दावा जरूर करूंगा.”

सीता सोरेन के प्रचार में बेटियां भी बंटा रहीं हाथ
जामताड़ी की सियासत की तरफ लौटे, तो सीता सोरेन यहां से इरफान अंसारी को चुनौती दे रही हैं. सीता सोरेन ने डंके की चोट पर कहती हैं कि वो जामताड़ा में बदलाव लाएंगी. देर रात भी उनके आवास पर अगले दिन के प्रचार के लिये पार्टी कार्यकर्ता जुटे रहते हैं. गांव-गांव में झंडे, पोस्टर, बैनर पहुंचाने का काम चालू है. चुनाव प्रचार में सीता सोरेन की बेटियां भी हाथ बंटा रही हैं.

सीता सोरेन दिनभर के थकाऊ प्रचार के बाद जब NDTV के कैमरे के सामने आईं, तो उनकी आवाज में थकावट सुनी जा सकती थी. सीता सोरने के दिवंगत पति दुर्गा सोरेन ने इस क्षेत्र के आधुनिकीकरण का सपना देखा था, अब वह इस सपने को पूरा करने का वादा कर रही हैं. सीता सोरेन ने कहा, “मेरे पति जामा को जापान जैसा बनाना चाहते थे. हमें केवल जामताड़ा में ही नहीं, पूरे राज्य में बदलाव चाहिए.”

इरफान अंसारी और सीता सोरेन के बीच यह मुकाबला आरोपों को लगने से और तीखा हो गया है, जहां सीता सोरेन अंसारी के बयानों को निराधार बताती हैं, वहीं वे अपने विकास के प्रति समर्पण की बात करती हैं. सीता कहती हैं, “अगर कोई घटना हुई है, तो कहने दो… जैसे ही मुझे पार्टी का टिकट मिला, मुझे बाहरी कहा जाने लगा… अगर सच है तो इसे साबित करें.”

BJP उठा रही बांग्लादेशी घुसपैठ का मुद्दा
BJP ने संथाल परगना क्षेत्र में बांग्लादेशी घुसपैठ का मुद्दा उठाया है और इसे चुनाव का मुख्य विषय बनाया है. कांग्रेस इसे विभाजनकारी राजनीति कहकर खारिज करती है. अंसारी इस पर कहते हैं, “कोई घुसपैठिया नहीं है. ये बातें सिर्फ युवाओं के दिमाग में ज़हर भरने का काम करती हैं.” वहीं, सीता का मानना है कि जनसांख्यिकीय बदलाव से आदिवासी जनसंख्या पर असर पड़ सकता है.

जामताड़ा के सिन्दरजोड़ी और करमाटांड जैसे गांवों में साइबर धोखाधड़ी से बने आलीशान घरों की कहानियां आम हैं. 2021 में यहां 76 साइबर अपराध के मामलों में 187 गिरफ्तारियां हुईं. 2022 में भी ऐसा ही आंकड़ा रहा. भले ही राष्ट्रीय स्तर पर साइबर अपराध का प्रतिशत कम हुआ हो, लेकिन जामताड़ा की हिस्सेदारी देश के लिए करीब 10% साइबर अपराधों में आज भी है.

जामताड़ा का चुनावी इतिहास
जामताड़ा का चुनावी इतिहास कांग्रेस के समर्थन में झुका हुआ है. 1952 से 2019 तक यहां 18 बार हुए चुनाव में 12 दफे कांग्रेस की जीत हुई. 2005 में जामताड़ा में BJP की इंट्री हुई, जब विष्णु प्रसाद भैया ने यहां कमल खिलाया था. 5 दफे यहां से मौजूदा विधायक इरफान अंसारी के पिता फुरकान अंसारी विधायक रहे. 2019 में मौजूदा विधायक इरफान अंसारी ने इस सीट पर  53.11% वोट हासिल किए थे.

जामताड़ा में 30.10% मुस्लिम वोटर्स
जामताड़ा में 30.10% मुस्लिम और 27.12% आदिवासी मतदाता हैं. आदिवासी मतदाताओं के बूते सीता सोरेन की भी उम्मीदें बड़ी हैं. जामताड़ा विधानसभा में 161057 पुरुष, 159051 महिला और 3 ट्रांसजेंडर समेत कुल 320111 मतदाता हैं.

स्वास्थ्य, शिक्षा, और रोजगार है असली मुद्दा
जैसे-जैसे चुनावी माहौल गर्म हो रहा है, यहां के युवा कह रहे हैं कि स्थानीय मुद्दे स्वास्थ्य, शिक्षा, और रोजगार हैं. स्थानीय निवासी गणेश मंडल कहते हैं, “हमें घुसपैठियों की बातें नहीं, बल्कि बेहतर स्कूल और कॉलेज चाहिए.” चौक पर खड़े कुछ और युवा सुविधाओं और बुनियादी स्वास्थ्य सेवाओं की कमी पर चिंता जाहिर करते हैं.

खैर जामताड़ा में इसबार महत्वाकांक्षा और विरासत की टक्कर है. मतदाता तय करने वाले हैं कि आगे का रास्ता निरंतरता का हो या बदलाव का. जटिल मुद्दों और जोशीले चुनाव प्रचार के साथ जामताड़ा का ये चुनाव इस क्षेत्र के भविष्य के सफर की दिशा तय करेगा.

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